टिंडा को इंडियन स्क्वैश, राउंड मेलन, इंडियन राउंड लौकी, ऐप्पल लौकी और इंडियन बेबी कद्दू भी कहा जाता है। टिंडा का जन्म स्थान एशिया बताया जाता है, जो करी और कई स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ भारतीय खाना पकाने में बहुत लोकप्रिय है। यह हरे रंग के सेब के आकार का होता है। यह मुख्य रूप से 50-60 ग्राम वजन के होते हैं।
Similarly टिंडे की सब्जी खाने से क्या फायदा? Summer Diet: टिंडे की सब्जी का नाम सुनते ही बन जाता है मुंह, तो पहले जान लीजिए इसके 8 लाजवाब फायदे
- दिल का ख्याल रखते हैं टिंडे …
- रेस्पिरेटरी सिस्टम करे मजबूत …
- बढ़े हुए वजन दिलाएगा छुटकारा …
- पाचन क्रिया करे दुरुस्त …
- कीटो डाइट के लिए टिंडे …
- स्किन मॉस्चराइज करे टिंडे …
- बालों की ग्रोथ करे बेहतर …
- डैंड्रफ से दिलाए छुटकारा
टिंडा कैसे होता है? साथ ही टिंडा बहुत ही प्राकृतिक गुणों से लैस होता है। टिंडा में एन्टी-ऑक्सिडेंट, फाइबर, कैराटिनॉयड, विटामिन सी, आयरन या पोटाशियम होता है जो टिंडे को सूपरफूड बनाने में मदद करता है। टिंडे की सब्जी (tinde ki sabji) खाते तो सब लोग है,लेकिन आयुर्वेद में इसका औषधि के रुप में भी उपयोग किया जाता है।
Additionally, टिंडा की खेती कैसे करें? पौधों को लगाना
- बिजाई का समय उत्तर भारत में, इसकी खेती दो बार की जा सकती है। इसे फरवरी-मार्च और जून-जुलाई में भी बोया जा सकता है।
- फासला बीजों को बैड के दोनों तरफ बोयें और 45 सैं. मी. फासले का प्रयोग करें ।
- बीज की गहराई बीजों को 2-3 सैं. मी. की गहराई में बोयें।
- बिजाई का ढंग बीजों को सीधे या मेंड़ पर बोया जा सकता है।
टिंडे में कौन सा विटामिन होता है?
टिंडे में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, थियामिन. नियासिन, रिबोफाल्विन, आयरन और पौटेशियम भी पाए जाते हैं। टिंडे के बीजों को भी बहुत लाभदायक माना जाता है।
टिंडा क्या खाता है?
टिंडा में एन्टी-ऑक्सिडेंट, फाइबर, कैराटिनॉयड, विटामिन सी, आयरन या पोटाशियम होता है जो टिंडे को सूपरफूड बनाने में मदद करता है। टिंडे की सब्जी (tinde ki sabji) खाते तो सब लोग है,लेकिन आयुर्वेद में इसका औषधि के रुप में भी उपयोग किया जाता है।
टिंडा का क्या भाव है?
जो वर्तमान में सब्जी मण्डी में ५५ रुपए किलो भाव में बिक रहा है। मात्र सीजन के दौरान ही बाहर भेजा जाता है। वह भी बहुत कम मात्रा में जाता है। व्यापारियों ने बताया कि शाहपुरा तहसील के आसपास के गांवों में पैदा होने वाला टिण्डा प्रदेश से लेकर दिल्ली समेत कई राज्यों तक मशहूर है।
टिंडे की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है?
इनमेेंं टिंडा एस 48, टिंडा लुधियाना, पंजाब टिंडा-1, अर्का टिंडा, अन्नामलाई टिंडा, मायको टिंडा, स्वाती, बीकानेरी ग्रीन, हिसार चयन 1, एस 22 आदि अच्छी किस्में मानी जाती हैं। टिंडे की फसल आमतौर पर दो माह में पककर तैयार हो जाती है।
टिंडा कौन से महीने में लगाया जाता है?
Vegetable crops – Sowing time, transplanting time and seed rate
सब्जी फसल | बुआई समय | कटाई समय |
---|---|---|
Round melon टिंडा | Feb.- March June- July | May- June Sept- Oct. |
Tomato टमाटर | June- Aug Nov.- Dec. | Oct.- Dec. April- June. |
Turnip शलजम | Oct.- Nov. | Dec.- March. |
Watermelon तरबूज | Jan.- March | May- June |
टिंडे की खेती कितने दिन में तैयार होती है?
इसके पौधे छोटे औऱ कोमल हो जाएं, तब तुड़ाई का उचित समय होता है. पहली तुड़ाई के 4 से 5 दिन के अंतराल पर तुड़ाई करते रहना चाहिए. टिंडे की उपज भूमि, जलवायु, तापमान, बीजों की गुणवत्ता, बुवाई का समय, सिंचाई आदि पर निर्भर होती है. आमतौर पर इसकी फसल से प्रति हेक्टेयर 80 से 120 क्विंटल पैदावार मिल जाती है.
टिंडे के बीज का क्या होता है?
टिंडा के बीज की बोआई फरवरी से मार्च और जून-जुलाई तक होती है। कृषि अधिकारियों ने अनुसार इसकी बोआई के लिए एक बीघा में डेढ़ किलो ग्राम बीज पर्याप्त होता है। आमतौर से टिंडे की बुआई समतल क्यारियों में की जाती है किंतु डौलियों पर बोआई करना अत्यंत उपयोगी एवं लाभप्रद रहता है।
टमाटर की वैज्ञानिक खेती कैसे करें?
टमाटर की खेती का तरीका
खेत को 3-4 बार जोतकर अच्छी तरह तैयार कर लें। पहली जुताई जुलाई माह में मिट्टी पलटने वाले हल अथवा देशी हल से करें। खेत की जुताई के बाद समतल करके 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद को समान रूप से खेत में बिखेरकर पुन: अच्छी जुताई कर लें और घास-पात को पूर्णरूप से हटा दें।
भिंडी कब लगाई जाएगी?
ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई फरवरी-मार्च में तथा वर्षाकालीन भिंडी की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है। यदि भिंडी की फसल लगातार लेनी है तो तीन सप्ताह के अंतराल पर फरवरी से जुलाई के मध्य अलग-अलग खेतों में भिंडी की बुवाई की जा सकती है।
टमाटर के पौधे में क्या डालें?
टमाटर के पौधे में क्या डालें? ANS. 100 किलो नाइट्रोजन. 60 किलो फास्फेट.
टमाटर में कौन सी दवा डालें?
टमाटर की अच्छी पैदावार लेने के लिए संतुलित उर्वरक सिचाई आदि के साथ-साथ कीड़े व बीमारियों की रोकथाम समय रहते करना अति आवश्यक है। कीटों से बचाव के लिए 400 मिली मेलाथियान 50 ईसी दवा 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 15 दिन के अंतर पर छिड़काव करें।
टमाटर में कौन सा खाद डालना चाहिए?
सामान्यतौर पर टमाटर की खेती के लिए 100 क्विंटल प्रति एकड़ अच्छी सड़ी हूई गोबर खाद, 50 किलोग्राम डीएपी, 50 किलोग्राम अमोनियम सल्फेट, 40 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकड़ रोपाई के पूर्व खेत मे मिलाएं। यदि मृदा में ज़िंक की कमी हो तो 10 किलोग्राम ज़िंक सलफेट प्रति एकड़ रोपाई के पूर्व खेत मे दें।
भिंडी का बीज कैसे लगाएं?
3. बीज बोने की सर्वोत्तम विधि :
- सबसे पहले नीचे की तरफ जल निकासी छेद के साथ अपनी पसंद का कंटेनर लें.
- कंटेनर के गमलों को बढ़ते माध्यम में मिट्टी के साथ भरें ।
- एक गमले के केंद्र पर 2 बीज बोएं।
- उभरे हुए सीड्स को 2 x 2 फुट के अंतराल से 2 बीज प्रति स्थान पर रोपें
भिंडी की रोपाई कैसे करें?
बीज की मात्रा बौने के समय व दूरी पर निर्भर करता है। खरीफ की खेती के लिए 8 से 10 कि0 ग्राम तथा ग्रीष्म कालिन फसल के लिए 18 से 20 कि0 ग्राम बीज की मात्रा प्रति हक्टेयर पर्याप्त होती है। अच्छी उपज के लिए शुद्व एंवम प्रमाणित बीज का उपयोग करना चाहिए। वर्षा ऋतु की फसल के लिए लाइन से लाईन की दूरी 45 से 60 से.
भिंडी कितने दिन में फल देता है?
वैसे तो भिंडी की बुवाई फरवरी-मार्च में की जाती है। लेकिन मैं भिंडी की बुवाई जनवरी के पहले सप्ताह में ही कर देता हूं। जिससे मेरी फसल क्षेत्र में सबसे पहले तैयार हो जाती है।
टमाटर के फूल क्यों झड़ते हैं?
टमाटर से फूल गिरने के कारण – Cause of Tomato Flower drop in Hindi. तापमान (Temperature) – तापमान कम या ज्यादा होने के कारण टमाटर के पौधे से फूल गिरने लगते हैं, दिन या रात में तापमान कम या ज्यादा होने के कारण ऐसा होता है। टमाटर के पौधे के लिए उचित तापमान निम्न है – दिन के समय 20-30°C और रात के समय 12-20°C होना चाहिए।
टमाटर कितने दिन में फल देता है?
पौधरोपण के 50 से 55 दिन बाद टमाटर के रूप में फल जाएगा। 60 दिन में लाल टमाटर काटने की स्थिति में होगा।
टमाटर की देखभाल कैसे करें?
सबसे पहले ऐसी जगह चुनें, जहां पर्याप्त धूप आती हो. दरअस्ल, टमाटर के पौधे को दिन में कम से कम आठ से 10 घंटे की धूप चाहिए होती है. जितना संभव हो उतना बड़ा गमला चुनें. टमाटर के पौधे को काफ़ी पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है तो इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि गमले में पर्याप्त मिट्टी हो.
टमाटर की फसल को झुलसा रोग से कैसे बचाएं?
पंकज नौटियाल ने बताया कि टमाटर पर लगने वाली बीमारी का नाम पछेती झुलसा और बैक्टीरियल बिल्ट रोग है। इसमें 10 लीटर पानी में 30 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड और 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइलिन का मिश्रण मिलाकर टमाटर की फसल पर छिड़काव करना पड़ता है, जिससे बीमारी खत्म हो जाती है।
टमाटर के फूल क्यों गिरते हैं?
टमाटर से फूल गिरने के कारण – Cause of Tomato Flower drop in Hindi. तापमान (Temperature) – तापमान कम या ज्यादा होने के कारण टमाटर के पौधे से फूल गिरने लगते हैं, दिन या रात में तापमान कम या ज्यादा होने के कारण ऐसा होता है। टमाटर के पौधे के लिए उचित तापमान निम्न है – दिन के समय 20-30°C और रात के समय 12-20°C होना चाहिए।
टमाटर में कौन कौन सा रोग लगता है?
टमाटर के 10 प्रमुख रोग एवं उनका समेकित रोग प्रबंधन
- 10 Major Diseases of Tomato and Their Integrated Disease Management.
- आर्द्रपतन इस रोग में रोगजनक का आक्रमण बीज अंकुरण के पूर्व अथवा बीज अंकुरण के बाद होता है। …
- अगेती झुलसा …
- पक्षेती झुलसा …
- सेप्टेरिया पर्णचित्ती …
- फल सड़न …
- फ्यूजेरियम म्लानि …
- जीवाणु म्लानि
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